लेखनी कहानी -21-Aug-2022 जगत नियंता मुरारी

जगत नियंता मुरारी

हे मुरारी! हे बनवारी! तुझ पर मैं कैसे लिखूं,
जग के पालन कर्ता तुम हो तुझसे मै कैसे मिलूं।

तू ही तो है जग नियंता,
 तू ही तो पापों का हंता। 
तुझ में ही ब्रह्मांड समाया, 
तू ही तो इस जग का रचयिता।

जग के पालन कर्ता तुम हो मैं तुझसे ऐसे मिलूं।
 हे श्यामा! हे मनोहारी! तुझ पर मैं कैसे लिखूं,।

तू राधा का प्रेम है शाश्वत,
 देवकी नंदन यशोदा का सुत।
 मैत्री भाव भरा जिस दिल में,
भक्तों का रक्षक वासु सुत।  

जग के पालन करता तुम हो मैं तुझसे कैसे मिलूं ।
हे माधव! हे यदुनंदन ! तुझ पर मैं कैसे लिखूं।

दिव्य शक्तियों के मालिक तुम,
चक्र सुदर्शन धारी हो भगवन।
 द्रुपद सुता की लाज के रक्षक,
 मधुर मुरलिया के वादक तुम।

 जग के पालन कर्ता तुम हो मैं तुझसे कैसे मिलूं।
हे मनमोहन! हे बंशीधर!  तुझ पर मैं कैसे लिखूं।

ब्रज और गोकुल के प्यारे तुम, 
असुर जनों के प्राण संहारक ।
भक्तों के रक्षक पहन पितांबर,
मोर मुकुट सिर बलिहारी 'अलका'

जग के पालन कर्ता तुम हो मैं तुझसे ऐसे मिलूं।
हे गोविंद! हे कंस संहारक! तुझ पर मैं कैसे लिखूं।

अलका गुप्ता 'प्रियदर्शिनी'
लखनऊ उत्तर प्रदेश।
स्व रचित मौलिक व अप्रकाशित
@सर्वाधिकार सुरक्षित। ओर

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15 Comments

Muskan khan

23-Aug-2022 03:22 AM

👌👌

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Bhut badhiya 💐🙏

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Pankaj Pandey

22-Aug-2022 11:17 AM

Wah , bahot hi sunder rachana 👌

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